Friday, June 18, 2010

"तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे" : हसरत जयपुरी


" हसरत जयपुरी " से भला कौन वाकिफ नहीं, हां जिन्होंने हिंदी फिल्मी गीत नहीं सुने उनकी बात छोडिये । "हसरत" के बिना हिंदी फिल्मी गीतों का सफ़र संभव ही नहीं, १९३९ तक जयपुर में रहकर शिक्षा और तालीम हासिल की, और उम्र के २० साल होते होते शायरी करने लगे, अपने पड़ोस में रहने वाली लड़की " राधा" को दिल दे बैठे, उन्होंने कहा था " मैंने सिर्फ इतना जाना है की प्यार धरम और मजहब नहीं देखता, ऐसा कैसे मुमकिन है के एक मजहब को मानने वाला उसी मजहब की लड़की से प्यार करे, मेरा इश्क बेज़ुबा था, उसे ज़ाहिर करने के लिए मैंने राधा को एक ख़त लिखा, " ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर ..." जो राधा कभी न पढ़ सकी पर राज कपूर ने इसे १९६४ की अपनी फ़िल्म "संगम" में पढ़ा, " ।

मुंबई में हसरत आये और बस कंडक्टर की नौकरी करने लगे, और यदा तदा शायरी मुशायरो में हिस्सा लेने लगे, ऐसे ही एक बार उनकी शायरी को पृथ्वीराज कपूर ने सुना और अपने बेटे राज कपूर को सलाह दी की हसरत को अपनी फिल्मो में मौका दे, उसी समय दो और नौ-जवान शंकर जयकिशन भी राज कपूर से जुड़े , इन सबकी मुलाकात एक रेस्तरां में हुई और राज जी ने इन को अपनी फ़िल्म " बरसात" के लिए रख लिया। और उनका पहला ही गाना " जिया बेकरार है" अभूतपूर्व हिट हुआ, और यह जोड़ी १९७१ तक अनेक फिल्मो में साथ काम करती रही, " मेरा नाम जोकर " के फ़ैल होने के बाद राज कपूर ने इस टीम को छोड़ दिया, और अपनी नयी टीम आनंद बक्षी - लक्ष्मीकांत प्यारेलाल को जोड़ लिया, लेकिन अपनी फ़िल्म " राम तेरी गंगा मैली " में हसरत को वापस ले आये, लेकिन राज kapur की मौत के बाद हसरत का फिल्मी सफ़र थम सा गया था , फिर भी वे कुछ संगीतकारों के साथ काम करते रहे,

हसरत का कहना था की " शायरी सीखी नहीं जा सकती , ये खुदा की नेमत होती है ," उनके हजारो अवार्ड्स में शामिल है दो फिल्म फेयेर अवार्ड्स जो की उन्हें " बहारो फूल बरसाओ" और "ज़िन्दगी एक सफ़र है सुहाना " के लिए मिले, डॉ आंबेडकर अवार्ड " झनक झनक तोरी बाजे पायलिया" के लिए मिले। ३५० फिल्मो के लिए २००० गीतों के रेकॉर्डिंग कर चुके हसरत के सदाबहार गानों में ये गीत कभी न भुलाये जाने वाले है ...ज़िन्दगी एक सफ़र है सुहाना, ..तेरी प्यारी प्यारी सूरत को, ..तेरे ख्यालो में हम, ...तू कहा ये बता, पंख होते तो उड़ आते रे, ..नैन से नैन, एहसान तेरा होगा मुझ पर, ...तेरी जुल्फों से जुदाई, ..तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे, ..सायोनारा- सायोनारा , आओ ट्विस्ट करे, ..अजहूँ न आये बालमा , ... सुन साहिबा सुन, ..सौ साल पहले, ...
हसरत की मधुरता का एहसास करने के लिए आज ही रात सोने से पहले ये गीत सुन कर देखिये " तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे, हाँ तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे,
" जब कभी भी सुनोगे गीत मेरे, संग संग तुम भी गुनगुनाओगे"

No comments:

Post a Comment