Saturday, June 19, 2010

मराठी साहित्य और रंगमंच के सबसे ऊँचे " पु ल "

एक बार मै एक नयी नौकरी के पहले ही दिन जब अपने ऑफिस पहुंचा तो वहा पर सभी नव नियुक्त मैनेजरों की ट्रेनिंग शुरू हो गई, ज्यादातर मराठी भाषी नव नियुक्तो के साथ कुछ हिंदी भाषी लोगो को भी नयी नौकरी में मौका मिला था, हालाँकि अब तक मै भी अच्छी मराठी सीख चूका था, प्रशिक्षण देने वाले ट्रेनर ने एक सवाल पूछा था " पु ल " के बारे में कौन बताएगा ?" बाकियों की तो मै नहीं जानता वो सब चुप ही थे, पर मुझे लगा जैसे मेरा सबसे पसंदीदा विषय पूछ लिया गया हो, खड़े होकर बड़े विश्वास और आदर के साथ मैंने कहा था " पु ल देशपांडे , मराठी रंगमंच और साहित्य के सबसे श्रेष्ठतम हस्तियों में से एक "।
जी हा मै दावे के साथ कह सकता हु की यदि आप मराठी भाषी नहीं है या मराठी भाषा नहीं समझते है तो पु ल के कुछ कार्यक्रमों की क्लिप्स देख लीजिये, या उनकी पुस्तकों को पढ़ने का प्रयास करे, धीरे धीरे मराठी भाषा आपको अपनी और अच्छी लगने लगेगी, और आप जान जायेंगे मै किस " पु ल " की बात कर रहा हु, मराठी साहित्य और रंगमंच में पु ल अजोड, बेजोड़, अतुलनीय , और ऐतिहासिक व्यक्तिमत्व है,
पु ल यानि पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे के सामने कोई कितना भी दुखी आदमी दिल खोलकर खिलखिलाकर हंस न पड़े ऐसा होना असंभव ही था, अपनी हाजिर जवाबी और शब्दों पर , मुहावरों पर लाजवाब पकड़ के कारन उनका कोई सानी नहीं है, ८ नवम्बर १९१९ को कोल्हापुर में जन्मे पु ल ने पुणे के प्रसिध फर्गुसन कोलेज में पढ़ाई की थी, और १९४६ में मराठी रंगमंच और लेखन से जुडी "सुनीता ठाकुर " से शादी की, पु ल भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरु के पहले इंटर व्यूव लेने वाले बने, अपने जीवन में उन्हें " महाराष्ट्र भूषण" "महाराष्ट्र गौरव" , मराठी के लिए " साहित्य अकादमी अवार्ड", संगीत नाटक अकदमी अवार्ड, "पद्मश्री" और " पद्मभूषण" अवार्ड मिले, उन्होंने " एकल स्टेज शो " में जो धमाल मचाई वो अभूतपूर्व थी , " बटाट्याची चाल ", " असा मी असामी", हसविण्याचा माझा धंधा", वार्यावरची वरात", और अनेक शानदार एक से बढ़कर एक रचनाये प्रस्तुत की, उनके कुछ अंश मै यहाँ प्रस्तुत कर रहा हु ....
एक बार उनकी एक परिचित लड़की की शादी जुड़ गयी , संयोगवश दोनों घरानों का सरनेम एक जैसा था , ये जानकर पु ल खिलखिलाकर बोल पड़े " भाई कुछ भी कहो, लड़की ने अपने बुजुर्गो का नाम बचा लिया"।
एक बार किसी मित्र के साथ वे मराठी फिल्म कलाकार शरद तलवलकर के घर गए, मित्र ने परिचय करवाया " ये मेरे मित्र शरद तलवलकर है , सज्जन पुरुष है " , इस पर पु ल बोल दिए :" सज्जन तो होंगे ही, देखिये जिस नाम में कोई भी उलटी सीधी टेडी मेढ़ी कोई मात्रा तक नहीं लगी है, वो माणूस सरल ही तो होगा " ।
एक कार्यक्रम में शिव शाहिर बाबा साहेब पुरंदरे जिन्होंने शिवाजी महाराज पर विशाल महानाट्य लिखा उनकी और पु ल की मुलाकात हो गई, पु ल से मजाक में पुरंदरे बोले " आप और भाभी जी दिन भर अपने घर में सिर्फ " खी.. खी " करके हँसते रहते होंगे," इस पर पु ल का चुप रहना नामुमकिन था, बोले " पुरंदरे साहेब , आपके घर में शायद कुछ ऐसा दृश्य रोज ही होता होगा की भाभीजी हाथ में तलवार लिए आप पर टूट पड़ती होंगी और आप घर में भोजन की थाली को ढाल बनाकर उनके वार बचाते होंगे," ।
हिन्दू ह्रदय सम्राट "बालासाहेब ठाकरे बीमारी की वजह से हिंदुजा हॉस्पिटल में दाखिल हुए थे, इस पर पु ल ने कहा " अब गर्व से कहो हम हिंदुजा में है" ।
हद तो एक बार ऐसी हुई की अपनी पत्नी सुनीता के साथ वे एक शादी में गए थे , वहा अपना परिचय कराते हुए वे बोले " मै देशपांडे और ये मेरी उपदेश पांडे " ।

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