Wednesday, August 25, 2010

लघु कथा

चांदपुर इलाके के राजा श्री कुवरसिंह जी बहुत अमीर थे। उन्हें किसी चीज़ की कमी नहीं थी, फिर भी उनका स्वास्थय अच्छा नहीं था । बीमारी के मारे वे हमेशा परेशां रहते थे, कई वैद्यो ने उनका इलाज़ किया लेकिन उनको कोई फायदा नहीं हुआ।
राजा की बीमारी बढ़ाते गई और धीरे धीरे यह बात सारे नगर में फैल गयी। तब एक वृद्ध ने राजा के पास आकर कहा , " राजा, आपका इलाज़ करने की मुझे आज्ञा दे , " राजा की अनुमति पाकर वह बोला , " आप किसी सुखी मानव का कुरता पहन ले तो सुखी हो जायेंगे, "
वृद्ध की बात सुनकर सभी दरबारी हसने लगे, लेकिन राजा ने सोचा की जहा इतने इलाज़ किये है वहा एक और सही, राजा के सेवको ने सुखी मानव की बहुत खोज की लेकिन संपूर्ण सुखी मानव उन्हें नहीं मिल पाया। हर आदमी को कोई न कोई दुःख था।
अब राजा खुद ही सुखी मानव की खोज में निकल पड़ा। बहुत तलाश के बाद वे एक खेत में जा पहुंचे, जेठ महीने की धुप में एक किसान अपने खेत में काम में लगा हुआ था । राजा ने उससे पूछा " क्यों जी' तुम सुखी हो ?" किसान की आंखे चमक उठी और चेहरा खिल गया, वह बोला " इश्वर की कृपा से मुझे कोई दुःख नहीं है" । यह सुनकर राजा बहुत खुश हो गया ' उस किसान का कुरता मांगने के लिए उसने जैसे ही आगे बढ़ना चाहा वह यह देखकर चौंक गया की किसान तो सिर्फ धोती पहने हुए था और उसकी बाकी साड़ी देह पसीने से तर बतर थी ।
राजा समझ गया की श्रम करने के कारण ही यह किसान सच्छा सुखी है, उसने आराम चैन छोड़कर श्रम करने का निर्णय किया और थोड़े ही दिनों में राजा की सारी बीमारिया दूर हो गई ।